नहिं मानै मूढ़ गँवार, मैं कैसे कहूँ समझाय ॥ कबीर साहेब II Kabir saheb

नहिं मानै मूढ़ गँवार, मैं कैसे कहूँ समझाय ॥ कबीर साहेब II Kabir saheb

Kabir Saheb Bhajan

1 год назад

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